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सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
अर्थ: हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।
शिव भजन
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत shiv chalisa lyricsl के लंक विभीषण दीन्हा॥
शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
शिव चालीसा का पाठ करने से आपके कार्य पूरे होते है और मनोवांछित वर प्राप्त होता हैं।